--ख्यालों की बेलगाम उड़ान...कभी लेख, कभी विचार, कभी वार्तालाप और कभी कविता के माध्यम से...... हाथ में लेकर कलम मैं हालेदिल कहता गया काव्य का निर्झर उमड़ता आप ही बहता गया......!!!
Tuesday, April 10, 2012
तुम्हे देख खुद को है सीखा ....!!!
एक हाथ पकड़ कर चलना सीखा ,
जब आप काम करते मैंने देखा ,
प्यार से तुम एक कौर खिलाते ,
उस मुस्कान को मैंने देखा ,
कंधे पर बिठाकर रावन देखा ,
जिद्द कर के वो खिलौना ख़रीदा ,
आपने हर पल मुझको जीता ,
हर मुस्कान के पीछे एक दुःख,
आपने सहा मैंने देखा ,
पल में खुश होजाते है और पल बिखर जाते है ,
ज़िन्दगी की खुशियों में कही खो जाते है ,
वो लम्हा जब याद करा तो ,इतिहास का वो पन्ना देखा ,
हर राह पर आपका साथ रहे ,ये मेरी इच्छा आपकी इच्छा ,
हर घड़ी रहे आपका साथ ,
मैंने हर पल है कुछ सिखा ....... !!!!
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