1) सूबह होती है और
सोचता हूँ ,
हर रोज कूछ
नया खोजता हूँ ,
दिल की सूनू या दिमाग
कि ,
बस यही सोचता हूँ ।
2)राह कोई आसान नही ,
फिर भी आसान राह
ढूंढता हूँ ,
मंजिल
मिलेगी या नही बस
यही खोजता हूँ ,
दिल की सूनू या दिमाग
की ,
बस यही सोचता हूँ ।
3)जिन्दगी आज है कल
नही ,
यह मै भी जानता हूँ ,
सबको खूश
देखना चाहता हूँ ,
पर दिल की सूनू
या दिमाग की ,
बस यही सोचता हूँ ।
$ देवेन्द्र गोरे $
क्या खूब पिरोया है जज्बातों को लफ्जों में,
ReplyDeleteकी तेरी तारीफ को अलफ़ाज़ भी नाकाफ़ी हैं|
KYA LIKHTE HO DG BAHUT UMDA HAI SHABDO KA KARWA TUMHARA........IN SHABDO KO YUHI SAJATE REHNA TUM.........TUMHARI KAVITAO SE HUMKO EK NAYI PRERNA MILEGI..
ReplyDeleteसोचो सोचो
ReplyDeletedhanyawaad babaji ab mere Alfaaj bhi kum pad raha hai kuch kehne se ... !!!! :)
ReplyDelete@hitesh its myPleasure that you r liking my Poetry :) Thanx again :)
ReplyDelete