१-वक़्त इतना नहीं साथ देते है ,
पास उतने है नहीं पर साथ रहते है ,
क्या कहूं इनके लिए ,
मेरी ज़िन्दगी मेरे दोस्त है,
२-कब कहा कैसे कभी ,
बन गए हम दोस्त अच्छे ,
ये दोस्त नहीं कुछ और है ,
क्या कहूं इनके लिए ,
मेरी ज़िन्दगी मेरे दोस्त है ,
३- हर लाफ्फ्ड़ो से रहते अलग,
सबके अपने सपने है,
पूरा करना इनका मकसद ,
ख्वाब सबके नेक है,
क्या कहूं इनके लिए ,
मेरी ज़िन्दगी मेरे दोस्त है ,
४-भोपाल हो या देहरादून,
नोयडा हो या खड़कपुर ,
इंदौर हो या कोई शहर ,
चैन मिलता है सबको ,
वो शहर उज्जैन है ,
क्या कहूं इनके लिए ,
मेरी ज़िन्दगी मेरे दोस्त है ,
५- साथ रहेंगे जीवन भर ,
ये हम सबकी फ़रियाद है ,
ये दोस्ती न टूटे कभी ,
हर पल हम सब साथ रहे ,
क्या कहूं इनके लिए ,
मेरी ज़िन्दगी मेरे दोस्त है !!!
- देवेन्द्र गोरे
--ख्यालों की बेलगाम उड़ान...कभी लेख, कभी विचार, कभी वार्तालाप और कभी कविता के माध्यम से...... हाथ में लेकर कलम मैं हालेदिल कहता गया काव्य का निर्झर उमड़ता आप ही बहता गया......!!!
Tuesday, September 27, 2011
Friday, September 2, 2011
मैं क्या हूँ ?
हर किसी की ख़ुशी हूँ ,
या हर चेहरे का गम ,
हर किसी के लिए पहेली हूँ ,
या हर किसी का पल ,
हर किसी का दर्द हूँ ,
या हर किसी का फ़र्ज़ ,
हर किसी का क़र्ज़ हूँ ,
या हर किसी का अर्श ,
हर किसी का प्यार हूँ ,
या हर किसी का इंकार ,
हर किसी की चाह हूँ ,
या हर किसी की राह ,
हर किसी के लिए आग हूँ ,
या हर किसी की प्यास ,
हर समस्या का हल हूँ ,
या हर हल की समस्या ,
हर सवाल का जवाब हूँ ,
या हर जवाब का सवाल ,
हर किसी की सोच हूँ ,
या हर किसी पर बोझ ,
ये सवाल आपका भी होगा ,
मैं क्या हूँ , मैं क्या हूँ , मैं क्या हूँ ?
-देवेन्द्र गोरे !
Subscribe to:
Posts (Atom)