--ख्यालों की बेलगाम उड़ान...कभी लेख, कभी विचार, कभी वार्तालाप और कभी कविता के माध्यम से......
हाथ में लेकर कलम मैं हालेदिल कहता गया
काव्य का निर्झर उमड़ता आप ही बहता गया......!!!
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Wednesday, February 15, 2012
धुआ उड़ाने और सिगरेट पीने का इतना शोक है , तो १० के नोट की पुंगी बनाओ धुआ तो उसमे भी निकलता है
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