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Sunday, May 20, 2012

ज़िन्दगी तो सभी जीते है , कुछ लोगो के अंदाज़ निराले होते है ...!!


ज़िन्दगी तो सभी जीते है ,
कुछ लोगो के अंदाज़ निराले होते है ,

जिनके हाथ नहीं होते वे पैरो से काम चलाते है ,
खुश तो ये भी रहते है ,
पर इनके जीने के अंदाज़ निराले होते है ... !!

जिनके पैर नहीं होते वे हाथो से करिश्मा कर दिखाते है ,
होसलों से ज़िन्दगी जिया करते है ,
आसूओ  से कुछ नहीं होता इनको ,
पर इनके जीने का अंदाज़ निराले होते है ...!!

आँखों से देख नहीं सकते ,पर एहसासों में जिया करते है ,मंजिल तो इन्हें भी मिलती है ,पर इनके जीने के अंदाज़ निराले होते है ... !!
हर जंग जीतने का ज़ज्बा है ,  फिर दुनिया में छा जाते है ,कल की छोड़ आज का जीना जीते है ,मंजिल तो इन्हें भी मिलती है ,पर इनके जीने के अंदाज़ निराले होते है ... !!
देवेन्द्र गोरे   

Monday, May 7, 2012

मैँ मूसाफिर अकेला .............!!!

मैँ मूसाफिर अकेला मंज़िल ढूँढने चला था ,
जिस मंज़िल कि तलाश मेँ मैँ था वहा एक मुसाफिर और था,
एक आकांक्षा थी छूलूंगा आसमान 
पर आसमां भी परिँदो से घिरा हुआ था ,
मैँ ठहरा सहमा क्या करु,
एक मुसाफिर का हाथ सामने आया ,
मैँने पुछा क्या मंज़िल मिलना आसान है?
मुसाफिर ने बताया ,
उड़ना तो हर परिँदे का काम है ,
किस पंछी को कहा जाना है,
परेशानीया करती मजबूर है,
तू मूड़ कर ना देख अगर कुछ हाथ ना लगे,
एक दिन तू आसमाँ मेँ उड़ता हूँआ अपने आप को पायेगा और नीचे लोग तूझे उड़ता देख खुश हो जायेँगे :-)

देवेन्द्र गोरे ।