Adviceadda.com

Total Pageviews

Wednesday, October 14, 2015

मैं शब्दो का धनी नहीं!

ये शब्द भंडार जो मेरे मगज मे छुपे है, इन्हे कोई हिलाकर निकाले कोई,
कहीं सही वक्त के इंतेजार में वक्त गुज़र न जाए, ये जो पर्दा है खुन्नस का हटाए कोई।

ये आसमान को ताके एड़िया घीस रहा वो, कंधे पे झोला टांगे कोई,
वो आँसुओ को छुपाए मौका तलाश रहा, आंखो से चश्मा हटाए कोई।

वो दो वक्त की रोटी का इंतेजाम कर रहा, किसी चमत्कार का भूका है कोई,
लिख रहा वो वहीं जो है सही, पर क्या थामेगा उसका हाथ कोई।

पल भर में एहसासों की पुड़िया संभाले, कब तक चुप रहेगा कोई,
कभी न कभी कहीं न कहीं, एक दिन तालियो की गूँज सुनेगा कोई।

वो आँखों में नमी लिए खड़ा होगा, होठों पर मुस्कान कोई,
जीत गया वो जग सारा तो, याद करेगा संघर्ष कोई।
- देवेंद्र गोरे

1 comment:

  1. I am extremely impressed along with your writing abilities, Thanks for this great share.

    ReplyDelete